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Showing posts from 2018

अकेले

कल भी मन अकेला था, आज भी अकेला है।.       मेरे साथ लोगों ने कैसा खेल खेला है, कल भी मन अकेला था आज भी अकेला है। चाहते है अब खुशबू कागजी गुलाबों में ,प्यार सिर्फ मिलता है, आजकल कित...

ज़िन्दगी ऐसे क्यो हैं...??

क्या ज़िन्दगी में यही सब होता है क्या ..? जिसे अपन चाहें या जिसे अपन पंसद करें।। चाहे वो कुछ भी हो सकता हैं। जरूरी ही नही की कोई आम व्यक्ति ही हो जिसे अपन पसन्द करे। पंसद तो कोई जॉ...